यदि हम अवतरित करते इस क़ुर्आन को किसी पर्वत पर, तो आप उसे देखते कि झुका जा रहा है तथा कण-कण होता जा रहा है, अल्लाह के भय से और इन उदाहरणों का वर्णन हम लोगों के लिए कर रहे हैं, ताकि वे सोच-विचार करें। वह खुले तथा छुपे का जानने वाला है। वही अत्यंत कृपाशील, दयावान् है।


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