हे ईमान वालो! तुम उन लोगों को मित्र न बनाओ, क्रोधित हो गया है अल्लाह, जिनपर। वे निराश हो चुके हैं आख़िरत[1] (परलोक) से, उसी प्रकार, जैसे काफ़िर समाधियों में पड़े हुए लोगों (के जीवित होने) से निराश हैं।
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1. आख़िरत से निराश होने का अर्थ उस का इन्कार है जैसे उन्हें मरने के पश्चात् जीवन का इन्कार है।


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