तथा जो निराश[1] हो जाती हैं मासिक धर्म से तुम्हारी स्त्रियों में से, यदि तुम्हें संदेह हो तो उनकी निर्धारित अवधि तीन मास है तथा उनकी, जिन्हें मासिक धर्म न आता हो और गर्भवती स्त्रियों की निर्धारित अवधि ये है कि प्रसव हो जाये तथा जो अल्लाह से डरेगा, वह उसके लिए उसका कार्य सरल कर देगा।
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1. निश्चित अवधि से अभिप्राय वह अवधि है जिस के भीतर कोई स्त्री तलाक़ पाने के पश्चात् दूसरा विवाह नहीं कर सकती। और यह अवधि उस स्त्री के लिये जिसे दीर्घायु अथवा अल्पायु होने के कारण मासिक धर्म न आये तीन मास तथा गर्भवती के लिये प्रसव है। और मासिक धर्म आने की स्थिति में तीन मासिक धर्म पूरा होना है। ह़दीस में है कि सुबैआ असलमिय्या (रज़ियल्लाहु अन्हा) के पति मारे गये तो वह गर्भवती थी। फिर चालीस दिन बाद उस ने शिशु जन्म दिया। और जब उस की मंगनी हुई तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उसे विवाह दिया। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4909) पति की मौत पर चार महीना दस दिन की अवधि उस के लिये है जो गर्भवति न हो। (देखियेः सूरह बक़रह, आयतः 226)