तथा उसकी कामना न करो, जिसके द्वारा अल्लाह ने तुम्हें एक-दूसरे पर श्रेष्ठता दी है। पुरुषों के लिए उसका भाग है, जो उन्होंने कमाया[1] और स्त्रियों के लिए उसका भाग है, जो उन्होंने कमाया है। तथा अल्लह से उससे अधिक की प्रार्थना करते रहो। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानता है।
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1. क़ुर्आन उतरने से पहले संसार का यह साधारण विश्वव्यापी विचार था कि नारी का कोई स्थाई अस्तित्व नहीं है। उसे केवल पुरुषों की सेवा और काम वासना के लिये बनाया गया है। क़ुर्आन इस विचार के विरुध्द यह कहता है कि अल्लाह ने मानव को नर तथा नारी दो लिंगों में विभाजित कर दिया है। और दोनों ही समान रूप से अपना अपना अस्तित्व, अपने अपने कर्तव्य तथा कर्म रखते हैं। और जैसे आर्थिक कार्यालय के लिये एक लिंग की आवश्यक्ता है, वैसे ही दूसरे की भी है। मानव के सामाजिक जीवन के लिये यह दोनों एक दूसरे के सहायक हैं।


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