कौन है वह तुम्हारी सेना जो तुम्हारी सहायता कर सकेगी अल्लाह के मुक़ाबले में? बल्कि वह घुस गये हैं अवैज्ञा तथा घृणा में।[1]
कौन है वह तुम्हारी सेना जो तुम्हारी सहायता कर सकेगी अल्लाह के मुक़ाबले में? बल्कि वह घुस गये हैं अवैज्ञा तथा घृणा में।[1]