कि कदापि न आने पाये उस (बाग़) के भीतर आज तुम्हारे पास कोई निर्धन।[1]
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1. ताकि उन्हें कुछ दान न करना पड़े।
कि कदापि न आने पाये उस (बाग़) के भीतर आज तुम्हारे पास कोई निर्धन।[1]
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1. ताकि उन्हें कुछ दान न करना पड़े।