निःसंदेह, ये (क़ुर्आन) आदरणीय रसूल का कथन[1] है।
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1. यहाँ आदरणीय रसूल से अभिप्राय मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। तथा सूरह तक्वीर आयतः 19 में फ़रिश्ते जिब्रील (अलैहिस्सलाम) जो वह़्यी लाते थे वह अभिप्राय हैं। यहाँ क़ुर्आन को आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन इस अर्थ में कहा गया है कि लोग उसे आप से सुन रहे थे। और इसी प्रकार आप जिब्रील (अलैहिस्सलाम) से सुन रहे थे। अन्यथा वास्तव में क़ुर्आन अल्लाह ही का कथन है जैसा कि आगामी आयतः 43 में आ रहा है।


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