निःसंदेह अल्लाह ये नहीं क्षमा करेगा कि उसका साझी बनाया जाये[1] और उसके सिवा जिसे चाहे, क्षमा कर देगा। जो अल्लाह का साझी बनाता है, तो उसने महा पाप गढ़ लिया।
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1. अर्थात पूजा, अराधना तथा अल्लाह के विशेष गुण कर्मों में किसी वस्तु या व्यक्ति को साझी बनाना घोर अक्षम्य पाप है, जो सत्धर्म के मूलाधार एकेश्वरवाद के विरुध्द, और अल्लाह पर मिथ्या आरोप है। यहूदियों ने अपने धर्माचार्यों तथा पादरियों के विषय में यह अंधविश्वास बना लिया है कि उन की बात को धर्म समझ कर उन्हीं का अनुपालन कर रहे थे। और मूल पुस्तकों को त्याग दिया था, क़ुर्आन इसी को शिर्क कहता है, वह कहता है कि सभी पाप क्षमा किये जा सकते हैं, परन्तु शिर्क के लिये क्षमा नहीं, क्यों कि इस से मूल धर्म की नींव ही हिल जाती है। और मार्गदर्शन का केंद्र ही बदल जाता है।