आप कह दें कि मुझे कदापि नहीं बचा सकेगा अल्लाह से कोई[1] और न मैं पा सकूँगा उसके सिवा कोई शरणगार (बचने का स्थान)।
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1. अर्थात यदि मैं उस की अवैज्ञा करूँ और वह मुझे यातना देना चाहे।


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