सिवाये रसूल के, जिसे उसने प्रिय बना लिया है, फिर वह लगा देता है उस वह़्यी के आगे तथा उसके पीछे रक्षक।[1]
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1. अर्थात ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान तो अल्लाह ही को है। किन्तु यदि धर्म के विषय में कुछ परोक्ष की बातों की वह़्यी अपने किसी रसूल की ओर करता है तो फ़रिश्तों द्वारा उस की रक्षा की व्यवस्था भी करता है ताकि उस में कुछ मिलाया न जा सके। रसूल को जितना ग़ैब का ज्ञान दिया जाता है वह इस आयत से उजागर हो जाता है। फिर भी कुछ लोग आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को पूरे ग़ैब का ज्ञानी मानते हैं। और आप को गुहारते और सब जगह उपस्थित कहते हैं। और तौह़ीद को आघात पहुँचा कर शिर्क करते हैं।


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