और भोजन कराते रहे उस (भोजन) को प्रेम करने के बावजूद, निर्धन, अनाथ और बंदी को।
और भोजन कराते रहे उस (भोजन) को प्रेम करने के बावजूद, निर्धन, अनाथ और बंदी को।