वास्तव में, हमने ही उतारा है आपपर क़ुर्आन थोड़ा-थोड़ा करके।[1]
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1. अर्थात नबूवत की तेईस वर्ष की अवधि में, और ऐसा क्यों किया गया इस के लिये देखियेः सूरह बनी इस्राईल, आयतः 106।
वास्तव में, हमने ही उतारा है आपपर क़ुर्आन थोड़ा-थोड़ा करके।[1]
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1. अर्थात नबूवत की तेईस वर्ष की अवधि में, और ऐसा क्यों किया गया इस के लिये देखियेः सूरह बनी इस्राईल, आयतः 106।