और घने-घने बाग़।[1]
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1. (6-16) इन आयतों में अल्लाह की शक्ति प्रतिपालन (रूबूबिय्यत) और प्रज्ञा के लक्षण दर्शाये गये हैं जो यह साक्ष्य देते हैं कि प्रतिकार (बदले) का दिन आवश्यक है, क्योंकि जिस के लिये इतनी बड़ी व्यवस्था की गई हो और उसे कर्मों के अधिकार भी दिये गये हों तो उस के कर्मों का पुरस्कार या दण्ड तो मिलना ही चाहिये।


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