वस्तुतः, उसने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया।[1]
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1. (17-23) तक विश्वासहीनों पर धिक्कार है कि यदि वह अपने अस्तित्व पर विचार करें कि हम ने कितनी तुच्छ वीर्य की बूँद से उस की रचना की तथा अपनी दया से उसे चेतना और समझ दी। परन्तु इन सब उपकारों को भूल कर कृतघ्न बना हुआ है, और पूजा उपासना अन्य की करता है।


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