क्या काफ़िरों (विश्वास हीनों) को उनका बदला दे दिया गया?[1]
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1. (29-36) इन आयतों में बताया गया है कि परलोक में कर्मों का फल दिया जायेगा तो संसारिक परिस्थितियाँ बदल जायेंगी। संसार में तो सब के लिये अल्लाह की दया है, परन्तु न्याय के दिन जो अपने सुख सुविधा पर गर्व करते थे और जिन निर्धन मुसलमानों को देख कर आँखें मारते थे, वहाँ पर वही उन के दुष्परिणाम को देख कर प्रसन्न होंगे। अंतिम आयत में विश्वास हीनों के दुष्परिणाम को उन का कर्म कहा गया है। जिस में यह संकेत है कि सुफल और कुफल स्वयं इन्सान के अपने कर्मों का स्वभाविक प्रभाव होगा।