वास्तव में, जो ईमान लाये और सदाचार बने, उनके लिए ऐसे स्वर्ग हैं, जिनके तले नहरें बह रही हैं और यही बड़ी सफलता है।[1]
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1. (5-11) इन आयतों में जो आस्तिक सताये गये उन के लिये सहायता का वचन तथा यदि वे अपने विश्वास (ईमान) पर स्थित रहे तो उन के लिये स्वर्ग की शुभ सूचना और अत्याचारियों के लिये नरक की धमकी है जिन्होंने उन को सताया और फिर अल्लाह से क्षमा याचना आदि कर के सत्य को नहीं माना।


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