तथा अपने पालनहार के नाम का स्मरण किया और नमाज़ पढ़ी।[1]
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1. (14-15) इन आयतों में कहा गया है कि सफलता मात्र उन के लिये है जो आस्था, स्वभाव तथा कर्म की पवित्रता को अपनायें, और नमाज़ अदा करते रहें।
तथा अपने पालनहार के नाम का स्मरण किया और नमाज़ पढ़ी।[1]
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1. (14-15) इन आयतों में कहा गया है कि सफलता मात्र उन के लिये है जो आस्था, स्वभाव तथा कर्म की पवित्रता को अपनायें, और नमाज़ अदा करते रहें।