वास्तव में, तेरा पालनहार घात में है।[1]
____________________
1. (6-14) इन आयतों में उन जातियों की चर्चा की गई है जिन्हों ने माया मोह में पड़ कर परलोक और प्रतिफल का इन्कार किया, और अपने नैतिक पतन के कारण धरती में उग्रवाद किया। "आद, इरम" से अभिप्रेत वह पूरानी जाती है जिसे क़ुर्आन तथा अरब में "आदे ऊला" (प्रथम आद) कहा गया है। यह वह प्राचीन जाति है जिस के पास हूद (अलैहिस्सलाम) को भेजा गया। और इन को "आदे इरम" इस लिये कहा गया है कि यह शामी वंशक्रम की उस शाखा से संबंधित थे जो इरम बिन शाम बिन नूह़ से चली आती थी। आयत संख्या 11 में इस का संकेत है कि उग्रवाद का उद्गम भौतिकवाद एवं सत्य विश्वास का इन्कार है जिसे वर्तमान युग में भी प्रत्यक्ष रूप में देखा जा सकता है।