और जो व्यक्ति कोई चूक अथवा पाप स्वयं करे और किसी निर्दोष पर उसका आरोप लगा दे, तो उसने मिथ्या दोषारोपन तथा खुले पाप का[1] बोझ अपने ऊपर लाद लिया।
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1. अर्थात स्वयं पाप कर के दूसरे पर आरोप लगाना दुहरा पाप है।


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