निःसंदेह, वह प्रसन्न हो जायेगा।[1]
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1. (15-21) इन आयतों में यह वर्णन किया गया है कि कौन से कुकर्मी नरक में पड़ेंगे और कौन सुकर्मी उस से सुरक्षित रखे जायेंगे। और उन्हें क्या फल मिलेगा। आयत संख्या 10 के बारे में यह बात याद रखने की है कि अल्लाह ने सभी वस्तुओं और कर्मों का अपने नियमानुसार स्वभाविक प्रभाव रखा है। और क़ुर्आन इसी लिये सभी कर्मों के स्वभाविक प्रभाव और फल को अल्लाह से जोड़ता है। और यूँ कहता है कि अल्लाह ने उस के लिये बुराई की राह सरल कर दी। कभी कहता है कि उन के दिलों पर मुहर लगा दी, जिस का अर्थ यह होता है कि यह अल्लाह के बनाये हुये नियमों के विरोध का स्वभाविक फल है। (देखियेः उम्मुल किताब, मौलाना आज़ाद)


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