तथा जो सत्कर्म करेगा, वह नर हो अथवा नारी, फिर ईमान भी[1] रखता होगा, तो वही लोग स्वर्ग में प्रवेश पायेंगे और तनिक भी अत्याचार नहीं किये जायेंगे।
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1. अर्थात सत्कर्म का प्रतिफल सत्य आस्था और ईमान पर आधारित है कि अल्लाह तथा उस के नबियों पर ईमान लाया जाये। तथा ह़दीसों से विद्वित होता है कि एक बार मुसलमानों और अह्ले किताब के बीच विवाद हो गया। यहूदियों ने कहा कि हमारा धर्म सब से अच्छा है। मुक्ति केवल हमारे ही धर्म में है। मुसलमानों ने कहा कि हमारा धर्म सब से अच्छा और अन्तिम धर्म है। उसी पर यह आयत उतरी। (इब्ने कसीर)


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