उन्हें चाहिये कि इस घर (काबा) के प्रभु की पूजा करें।[1]
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1. इस घर से अभिप्राय काबा है। अर्थ यह है कि यह सुविधा उन्हें इसी घर के कारण प्राप्त हुई। और वह स्वयं यह मानते हैं कि 360 मूर्तियाँ उन की रब नहीं हैं जिन की पूजा कर रहे हैं। उन का रब (पालनहार) वही है जिस ने उन को अबरहा के आक्रमण से बचाया। और उस युग में जब अरब की प्रत्येक दिशा में अशान्ति का राज्य था मात्र इसी घर के कारण इस नगर में शान्ति है। और तुम इसी घर के निवासी होने के कारण निश्चिन्त हो कर व्यापारिक यात्रायें कर रहे हो, और सुख सुविधा के साथ रहते हो। क्यों कि काबे के प्रबंधक और सेवक होने के कारण ही लोग क़ुरैश का आदर करते थे। तो उन्हें स्मरण कराया जा रहा है कि फिर तुम्हारा कर्तव्य है कि केवल उसी की उपासना करो।


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