निःसंदेह तुम्हारा शत्रु ही बे नाम निशान है।[1]
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1. आयत संख्या 3 में 'अब्तर' का शब्द प्रयोग हुआ है। जिस का अर्थ है जड़ से अलग कर देना जिस के बाद कोई पेड़ सूख जाता है। और इस शब्द का प्रयोग उस के लिये भी किया जाता है जो अपनी जाति से अलग हो जाये, या जिस का कोई पुत्र जीवित न रह जाये, और उस के निधन के बाद उस का कोई नाम लेवा न हो। इस आयत में जो भविष्यवाणी की गई है वह सत्य सिध्द हो कर पूरे मानव संसार को इस्लाम और क़ुर्आन पर विचार करने के लिये बाध्य कर रही है। (इब्ने कसीर)


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