तो अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का वर्णन करो और उससे क्षमा माँगो, निःसंदेह वह बड़ा क्षमी है।[1]
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1. इस आयत में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से कहा गया है कि इतना बड़ा काम आप ने अल्लाह की दया से पूरा किया है, इस के लिये उस की प्रशंसा और पवित्रता का वर्णन तथा उस की कृतज्ञता व्यक्त करें। इस में सभी के लिये यह शिक्षा है कि कोई पुण्य कार्य अल्लाह की दया के बिना नहीं होता। इस लिये उस पर घमंड नहीं करना चाहिये।


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