और यदि तुम अपनी पत्नियों के बीच न्याय करना चाहो, तो भी ऐसा कदापि नहीं कर[1] सकोगे। अतः एक ही की ओर पूर्णतः झुक[2] न जाओ और (शेष को) बीच में लटकी हुई न छोड़ दो और यदि (अपने व्यवहार में) सुधार[3] रखो और (अल्लाह से) डरते रहो, तो निःसंदेह अल्लाह अति क्षमाशील दयावन् है।
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1. क्यों कि यह स्वभाविक है कि मन का आकर्षण किसी एक की ओर होगा। 2. अर्थात जिस में उस के पति की रूचि न हो, और न व्यवहारिक रूप से बिना पति के हो। 3. अर्थात सब के साथ व्यवहार तथा सहवास संबंध में बराबरी करो।


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