तथा द्वेष करने वाले की बुराई से, जब वह द्वेष करे।[1]
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1. (4-5) इन दोनों आयतों में जादू और डाह की बुराई से अल्लाह की शरण में आने की शिक्षा दी गई है। और डाह ऐसा रोग है जो किसी व्यक्ति को दूसरों को हानि पहुँचाने के लिये तैयार कर देता है। और आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर भी जादू डाह के कारण ही किया गया था। यहाँ ज्ञातव्य है कि इस्लाम ने जादू को अधर्म कहा है जिस से इन्सान के परलोक का विनाश हो जाता है।


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