तथा जिन्होंने कहा कि हम नसारा (ईसाई) हैं, हमने उनसे (भी) दृढ़ वचन लिया था, तो उन्हें जिस बात का निर्देश दिया गया था, उसे भुला बैठे, तो प्रलय के दिन तक के लिए हमने उनके बीच शत्रुता तथा पारस्परिक (आपसी) विद्वेष भड़का दिया और शीघ्र ही अल्लाह जो कुछ वे करते रहे हैं, उन्हें[1] बता देगा।
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1. आयत का अर्थ यह है कि जब ईसाईयों ने वचन भंग कर दिया, तो उन में कई परस्पर विरोधी सम्प्रदाय हो गये, जैसे याक़ूबिय्यः, नसतूरिय्यःऔर आरयूसिय्यः। ये सभी एक दूसरे के शत्रु हो गये। तथा इस समय आर्थिक और राजनीतिक सम्प्रदायों में विभाजित हो कर आपस में रक्तपात कर रहे हैं। इस में मुसलमानों को भी सावधान किया गया है कि क़ुर्आन के अर्थों में परिवर्तन कर के ईसाईयों के समान सम्प्रदायों में विभाजित न होना।


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