फिर जो अपने अत्याचार (चोरी) के पश्चात् तौबा (क्षमा याचना) कर ले और अपने को सुधार ले, तो अल्लाह उसकी तौबा स्वीकार कर लेगा[1]। निःसंदेह अल्लाह अति क्षमाशील दयावान् है।
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1. अर्थात उसे परलोक में दण्ड नहीं देगा, परन्तु न्यायालय उसे चोरी सिध्द होने पर चोरी का दण्ड देगा। (तफसीरे क़ुर्तुबी)