वे मिथ्या बातें सुनने वाले, अवैध भक्षी हैं। अतः यदि वे आपके पास आयें, तो आप उनके बीच निर्णय कर दें अथवा उनसे मुँह फेर लें (आपको अधिकार है)। और यदि आप उनसे मुँह फेर लें, तो वे आपको कोई हाणि नहीं पहुँचा सकेंगे और यदि निर्णय करें, तो न्याय के साथ निर्णय करें। निःसंदेह अल्लाह न्यायकारियों से प्रेम करता है।


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