तथा यहूदियों ने कहा कि अल्लाह के हाथ बंधे[1] हुए हैं, उन्हीं के हाथ बंधे हुए हैं और वे अपने इस कथन के कारण धिक्कार दिये गये हैं; बल्कि उसके दोनों हाथ खुले हुए हैं, वह जैसे चाहे, व्यय (खर्च) करता है और इनमें से अधिक्तर को, जो (क़ुर्आन) आपके पालनहार की ओर से आपपर उतारा गया है, उल्लंघन तथा कुफ़्र (अविश्वास) में अधिक कर देगा और हमने उनके बीच प्रलय के दिन तक के लिए शत्रुता तथा बैर डाल दिया है। जब कभी वे युध्द की अग्नि सुलगाते हैं, तो अल्लाह उसे बुझा[2] देता है। वे धरती में उपद्रव का प्रयास करते हैं और अल्लाह विद्रोहियों से प्रेम नहीं करता।
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1. अर्बी मुह़ावरे में हाथ बंधे का अर्थ है कंजूस होना, और दान-दक्षिणा से हाथ रोकना। (देखियेः सूरह आले इमरान, आयतः181) 2. अर्थात उन के षड्यंत्र को सफल नहीं होने देता, बल्कि उन का कुफल उन्हीं को भोगना पड़ता है। जैसा कि नबी ( सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के समय में विभिन्न दशाओं में हुआ।


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