और यदि वे अल्लाह पर तथा नबी पर और जो उनपर उतारा गया, उसपर ईमान लाते, तो उन्हें मित्र न बनाते[1], परन्तु उनमें अधिक्तर उल्लंघनकारी हैं।
____________________
1. भावार्थ यह है कि यदि यहूदी, मूसा अलैहिस्सलाम को अपना नबी और तौरात को अल्लाह की किताब मानते हैं, जैसा कि उन का दावा है तो वे मुसलमानों के शत्रु और काफ़िरों को मित्र नहीं बनाते। क़ुर्आन का यह सच आज भी देखा जा सकता है।


الصفحة التالية
Icon