हे ईमान वालो! उन स्वच्छ पवित्र चीजों को जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए ह़लाल (वैध) की हैं, ह़राम (अवैध)[1] न करो और सीमा का उल्लंघन न करो। निःसंदेह अल्लाह उल्लंघनकारियों[2] से प्रेम नहीं करता।
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1. अर्थात किसी भी खाद्य अथवा वस्तु को वैध अथवा अवैध करने का अधिकार केवल अल्लाह को है। 2. यहाँ से वर्णन क्रम, फिर आदेशों तथा निषेधों की ओर फिर रहा है। अन्य धर्मों के अनुयायियों ने सन्यास को अल्लाह के सामिप्य का साधन समझ लिया था, और ईसाईयों ने सन्यास की रीति बना ली थी और अपने ऊपर संसारिक उचित स्वाद तथा सुख को अवैध कर लिया था। इस लिये यहाँ सावधान किया जा रहा है कि यह कोई अच्छाई नहीं, बल्कि धर्म सीमा का उल्लंघन है।


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