हे ईमान वालो! निःसंदेह[1] मदिरा, जुआ, देवस्थान[2] और पाँसे[3] शैतानी मलिन कर्म हैं, अतः इनसे दूर रहो, ताकि तुम सफल हो जाओ।
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1. शराब के निषेध के विषय में पहले सूरह बक़रह आयत 219, और सूरह निसा आयत 43 में दो आदेश आ चुके हैं। और यह अन्तिम आदेश है, जिस में शराब को सदैव के लिये वर्जित कर दिया गया है। 2. देवस्थान अर्थात वह वेदियाँ जिन पर देवी-देवताओं के नाम पर पशुओं की बलि दी जाती है। आयत का भावार्थ यह है कि अल्लाह के सिवा किसी अन्य के नाम से बलि दिया हुआ पशु अथवा प्रसाद अवैध है। 3. पाँसे, यह तीन तीर होते हैं, जिन से वह कोई काम करने के समय यह निरणय लेते थे कि उसे करें या न करें। उन में एक पर "करो" और दूसरे पर "मत करो" और तीसरे पर "शून्य" लिखा होता था। जूवे में लाट्री और रेस आदि भी शामिल हैं।


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