तथा उन्होंने कहाः[1] इस (नबी) पर कोई फ़रिश्ता क्यों नहीं उतारा[2] गया? और यदि हम कोई फ़रिश्ता उतार देते, तो निर्णय ही कर दिया जाता, फिर उन्हें अवसर नहीं दिया जाता[3]।
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1. जैसा कि वह माँग करते हैं। (देखियेः सूरह बनी इस्राईल, आयतः93) 2. अर्थात अपने वास्तविक रूप में, जब कि जिब्रील (अलैहिस्सलाम) मनुष्य के रूप में आया करते थे। 3. अर्थात मानने या न मानने का।