आप कह दें कि मैं डरता हूँ, यदि अपने पालनहार की अवज्ञा करूँ, एक घोर दिन[1] की यातना से।
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1. इन आयतों का भावार्थ यह है कि जब अल्लाह ही ने इस विश्व की उत्पत्ति की है, वही अपनी दया से इस की व्यवस्था कर रहा है, और सब को जीविका प्रदान कर रहा है, तो फिर तुम्हारा स्वभाविक कर्म भी यही होना चाहिये कि उसी एक की वंदना करो। यह तो बड़े कुपथ की बात होगी कि उस से मुँह फेर कर दूसरों की पूजा अराधना करो और उन के आगे झुको।