बल्कि उनके लिए वो बात खुल जायेगी, जिसे वे इससे पहले छुपा रहे थे[1] और यदि संसार में फेर दिये जायेँ, तो फिर वही करेंगे, जिससे रोके गये थे, वास्तव में, वे हैं ही झूठे।
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1. अर्थात जिस तथ्य को वह शपथ ले कर छुपा रहे थे कि हम मिश्रणवादी नहीं थे, उस समय खुल जायेगा। अथवा आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को पहचानते हुये भी यह बात जो छुपा रहे थे, वह खुल जायेगी। अथवा द्विधावादियों के दिल का वह रोग खुल जायेगा, जिसे वह संसार में छुपा रहे थे। (तफ़्सीर इब्ने कसीर)