धरती में विचरते जीव तथा अपने दो पंखों से उड़ते पक्षी तुम्हारी जैसी जातियाँ हैं, हमने पुस्तक[1] में कुछ कमी नहीं की[2] है, फिर वे अपने पालनहार की ओर ही एकत्र किये[3] जायेंगे।
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1. पुस्तक का अर्थ "लौह़े मह़्फ़ूज़" है, जिस में सारे संसार का भाग्य लिखा हुआ है। 2. इन आयतों का भावार्थ यह है कि यदि तुम निशानियों और चमत्कारों की माँग करते हो तो यह पूरे विश्व में जो जीव और पक्षी हैं, जिन के जीवन साधनों की व्यवस्था अल्लाह ने की है, और सब के भाग्य में जो लिख दिया है, वह पूरा हो रहा है। क्या तुम्हारे लिये अल्लाह के अस्तित्व और गुणों के प्रतीक नहीं हैं? यदि तुम ज्ञान तथा समझ से काम लो, तो यह विश्व की व्यवस्था ही ऐसा लक्षण और प्रमाण है कि जिस के पश्चात किसी अन्य चमत्कार की आवश्यक्ता नहीं रह जाती। 3. अर्थ यह है कि सब जीवों के प्राण मरने के पश्चात् उसी के पास एकत्र हो जाते हैं, क्यों कि वही सब का उत्पत्तिकार है।