तथा (हे नबी!) जब आपके पास वे लोग आयें, जो हमारी आयतों (क़ुर्आन) पर ईमान लाये हैं, तो आप कहें कि तुम[1] पर सलाम (शान्ति) है। अल्लाह ने अपने ऊपर दया अनिवार्य कर ली है कि तुममें से जो भी अज्ञानता के कारण, कोई कुकर्म कर लेगा, फिर उसके पश्चात् तौबा (क्षमा याचना) कर लेगा और अपना सुधार कर लेगा, तो निःसंदेह अल्लाह अति क्षमाशील दयावान् है।
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1. अर्तथात उन के सलाम का उत्तर दें, और उन का आदर सम्मान करें।


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