वही है, जो रात्रि में तुम्हारी आत्माओं को ग्रहण कर लेता है तथा दिन में जो कुछ किया है, उसे जानता है। फिर तुम्हें उस (दिन) में जगा देता है, ताकि निर्धारित अवधि पूरी हो जाये[1]। फिर तुम्हें उसी की ओर प्रत्यागत (वापस) होना है। फिर वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों से सूचित कर देगा।
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1. अर्थात संसारिक जीवन की निर्धारित अवधि।