आप उनसे कह दें कि वह इसका सामर्थ्य रखता है कि वह कोई यातना तुम्हारे ऊपर (आकाश) से भेज दे अथवा तुम्हारे पैरों के नीचे (धरती) से या तुम्हें सम्प्रदायों में करके एक को दूसरे के आक्रमण[1] का स्वाद चखा दे। देखिये कि हम किस प्रकार आयतों का वर्णन कर रहे हैं कि संभवतः वे समझ जायेँ।
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1. ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपनी उम्मत के लिये तीन दुआयें कीं: मेरी उम्मत का विनाश डूब कर न हो। साधारण आकाल से न हो। और आपस के संघर्ष से न हो। तो पहली दो दुआ स्वीकार हूई और तीसरी से आप को रोक दिया गया। (बुख़ारीः2216)


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