तथा आप उन्हें छोड़ें जिन्होंने अपने धर्म को क्रीड़ा और खेल बना लिया है। दरअसल सांसारिक जीवन ने उन्हें धोखे में डाल रखा है। आप इस (क़ुर्आन) द्वारा उन्हें शिक्षा दें। ताकि कोई प्राणी अपने करतूतों के कारण बंधक न बन जाये, जिसका अल्लाह के सिवा कोई सहायक और अभिस्तावक (सिफ़ारिशी) न होगा।फिर यदि वे, सबकुछ बदले में दे दें, तो भी उनसे नहीं लिया जायेगा[1]। यही लोग अपने करतूतों के कारण बंधक होंगे। उनके लिए उनके कुफ़्र (अविश्वास) के कारण खौलता पेय तथा दुःखदायी यातना होगी।
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1. संसारिक दण्ड से बचाव के लिये तीन साधनों से काम लिया जाता है- मैत्री, सिफ़ारिश और अर्थदण्ड। परन्तु अल्लाह के हाँ ऐसे साधन किसी काम नहीं आयेंगे। वहाँ केवल ईमान और सत्कर्म ही काम आयेंगे।


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