मैंने तो अपना मुख एकाग्र होकर, उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों तथा धरती की रचना की है और मैं मुश्रिकों में से नहीं[1] हूँ।
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1. इब्राहीम अलैहिस्सलाम उस युग में नबी हुये जब बाबिल तथा नेनवा के निवासी आकाशीय ग्रहों की पूजा कर रहे थे। परन्तु इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर अल्लाह ने सत्य की राह खोल दी। उन्हों ने इन आकाशीय ग्रहों पर विचार किया तथा उन को निकलते और फिर डूबते देख कर ये निर्णय लिया कि यह किसी की रचना तथा उस के अधीन हैं। और इन का रचयिता कोई और है। अतः रचित तथा रचना कभी पूज्य नहीं हो सकती, पूज्य वही हो सकता है जो इन सब का रचयिता तथा व्यवस्थापक है।


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