यही अल्लाह का मार्गदर्शन है, जिसके द्वारा अपने भक्तों में से जिसे चाहे, सुपथ दर्शा देता है और यदि वे शिर्क करते, तो उनका सब किया-धरा व्यर्थ हो जाता[1]।
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1. इन आयतों में अठारह नबियों की चर्चा करने के पश्चात् यह कहा गया है कि यदि यह सब भी मिश्रण करते, तो इन के सत्कर्म व्यर्थ हो जाते। जिस से अभिप्राय शिर्क (मिश्रणवाद) की गंभीरता से सावधान करना है।