वही है, जिसने आकाश से जल की वर्षा की, फिर हमने उससे प्रत्येक प्रकार की उपज निकाल दी। फिर उससे हरियाली निकाल दी। फिर उससे तह पर तह दाने निकालते हैं तथा खजूर के गाभ से गुच्छे झुके हुए और अंगूरों तथा ज़ैतून और अनार के बाग़, समरूप तथा स्वाद में अलग-अलग। उसके फल को देखो, जब फल लाता है तथा उसके पकने को। निःसंदेह इनमें उन लोगों के लिए बड़ी निशानियाँ (लक्षण)[1] हैं, जो ईमान लाते हैं।
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1. अर्थात अल्लाह के पालनहार होने की निशानियाँ। आयत का भावार्थ यह है कि जब अल्लाह ने तुम्हारे आर्थिक जीवन के साधन बनाये हैं, तो फिर तुम्हारे आत्मिक जीवन के सुधार के लिये भी प्रकाशना और पुस्तक द्वारा तुम्हारे मार्गदर्शन की व्यवस्था की है, तो तुम्हें उस पर आश्चर्य क्यों है तथा इसे अस्वीकार क्यों करते हो?