और इसी प्रकार, हम अनेक शैलियों में आयतों का वर्णन कर रहे हैं। ताकि वे (काफ़िर) कहें कि आपने पढ़[1] लिया है और ताकि हम उन लोगों के लिए (तर्कों को) उजागर कर दें, जो ज्ञान रखते हैं।
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1. अर्थात काफ़िर यह कहें कि आप ने यह अह्ले किताब से सीख लिया है और इसे अस्वीकार कर दें। (इब्ने कसीर)