जब आते हैं आपके पास मुनाफ़िक़, तो कहते हैं कि हम साक्ष्य (गवाही) देते हैं कि वास्तव में आप अल्लाह के रसूल हैं तथा अल्लाह जानता है कि वास्तव में आप अल्लाह के रसूल हैं और अल्लाह गवाही देता है कि मुनाफ़िक़ निश्चय झूठे[1] हैं।
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1. आदरणीय ज़ैद पुत्र अर्क़म (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि एक युध्द में मैं ने (मुनाफ़िक़ों के प्रमुख) अब्दुल्लाह पुत्र उबय्य को कहते हुये सना कि उन पर ख़र्च न करो जो अल्लाह के रसूल के पास हैं। यहाँ तक कि वह बिखर जायें आप के आस-पास से। और यदि हम मदीना वापिस गये तो हम सम्मानित उस से अपमानित (इस से अभिप्राय वह मुसलमानों को ले रहे थे।) को अवश्य निकाल देंगे। मैं ने अपने चाचा को यह बात बता दी। और उन्हों ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को बता दी। तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अब्दुल्लाह पुत्र उबय्य को बुलाया। उस ने और उस के साथियों ने शपथ ले ली कि उन्होंने यह बात नहीं कही है। इस कारण आप ने मुझे (अर्थातः ज़ैद पुत्र अर्क़म) झुठा समझ लिया। जिस पर मुझे बड़ा शोक हुआ। और मैं घर में रहने लगा। फिर अल्लाह ने यह सूरह उतारी तो आप ने मुझे बुला कर सुनायी। और कहा कि हे ज़ैद! अल्लाह ने तुम्हें सच्चा सिध्द कर दिया है। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4900)