हे नबी! जब तुम लोग त़लाक़ दो अपनी पत्नियों को, तो उन्हें तलाक़ दो उनकी 'इद्दत' के लिए, और गणना करो 'इद्दत' की तथा डरो अपने पालनहार अल्लाह से और न निकालो उन्हें उनके घरों से और न वह स्वयं निकलें, परन्तु ये कि वे कोई खुली बुराई कर जायें तथा ये अल्लाह की सीमायें हैं और जो उल्लंघन करेगा अल्लाह की सीमाओं का, तो उसने अत्याचार कर लया अपने ऊपर। तुम नहीं जानते संभवतः अल्लाह कोई नई बात उत्पन्न कर दे इसके पश्चात्।


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