ترجمة معاني سورة الكوثر باللغة الهندية من كتاب الترجمة الهندية .
من تأليف: مولانا عزيز الحق العمري .

(हे नबी!) हमने तुम्हें कौसर प्रदान किया है।[1]
____________________
1. कौसर का अर्थ है असीम तथा अपार शुभ। और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया कि कौसर एक ह़ौज़ (जलाशय) है जो मुझे परलोक में प्रदान किया जायेगा। जब प्रत्येक व्यक्ति प्यास प्यास कर रहा होगा और आप की उम्मत आप के पास आयेगी, आप पहले ही से वहाँ उपस्थित होंगे और आप उन्हें उस से पिलायेंगे जिस का जल दूध से उजला और मधु से अधिक मधुर होगा। उस की भूमि कस्तूरी होगी, उस की सीमा और बरतनों का सविस्तार वर्णन ह़दीसों में आया है।
तो तुम अपने पालनहार के लिए नमाज़ पढ़ो तथा बलि दो।[1]
____________________
1. इस आयत में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और आप के माध्यम से सभी मुसलमानों से कहा जा रहा है कि जब शुभ तुम्हारे पालनहार ही ने प्रदान किये हैं तो तुम भी मात्र उसी की पूजा करो और बलि भी उसी के लिये दो। मूर्ती पूजकों की भाँति देवी देवताओं की पूजा अर्चना न करो और न उन के लिये बलि दो। वह तुम्हें कोई शुभ लाभ और हानि देने का सामर्थ्य नहीं रखते।
निःसंदेह तुम्हारा शत्रु ही बे नाम निशान है।[1]
____________________
1. आयत संख्या 3 में 'अब्तर' का शब्द प्रयोग हुआ है। जिस का अर्थ है जड़ से अलग कर देना जिस के बाद कोई पेड़ सूख जाता है। और इस शब्द का प्रयोग उस के लिये भी किया जाता है जो अपनी जाति से अलग हो जाये, या जिस का कोई पुत्र जीवित न रह जाये, और उस के निधन के बाद उस का कोई नाम लेवा न हो। इस आयत में जो भविष्यवाणी की गई है वह सत्य सिध्द हो कर पूरे मानव संसार को इस्लाम और क़ुर्आन पर विचार करने के लिये बाध्य कर रही है। (इब्ने कसीर)