(हे नबी!) ये वे नगर हैं, जिनकी कथा हम आपको सुना रहे हैं। इन सबके पास उनके रसूल खुले तर्क (प्रमाण) लाये, तो वे ऐसे न थे कि उस सत्य पर विश्वास कर लें, जिसे वे इससे पूर्व झुठला[1] चुके थे। इसी प्रकार, अल्लाह काफ़िरों के दिलों पर मुहर लगाता है।
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1. अर्थात सत्य का प्रमाण आने से पहले झुठला दिया था, उस के पश्चात् भी अपनी हठधर्मी से उसी पर अड़े रहे।


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