और यदि अल्लाह, लोगों को तुरन्त बुराई का (बदला) दे देता, जैसे वे तुरन्त (सांसारिक) भलाई चाहते हैं, तो उनका समय कभी पूरा हो चुका होता! अतः जो (मरने के पश्चात्) हमसे मिलने की आशा नहीं रखते, हम उन्हें, उनके कुकर्मों में बहकते हुए[1] छोड़ देंगे।
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1. आयत का अर्थ यह है कि अल्लाह के दुष्कर्मों का दण्ड देने का नियम यह नहीं है कि तुरन्त संसार ही में उस का कुफल दे दिया जाये। परन्तु दुष्कर्मी का यहाँ अवसर दिया जाता है, अन्यथा उन का समय कभी का पूरा हो चुका होता।


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